13. जिला ग्रामोद्योग अधिकारी
- अपने कार्य क्षेत्र में औद्योगिक सम्भाव्यता का सर्वेक्षण करना और
उपलब्ध कच्चे माल का विवरण आदि रखना। खादी ग्रामोद्योग की इकाईयों को विस्तृत जानकारी
उपलब्ध करवाना।
- क्षेत्र की सम्भावनाओं को देखते हुए औद्योगिक सहकारी समितियों अथवा
संस्थाओं का गठन कराना, इस हेतु उनके कागजातों को तैयार कर नियमानुसार पंजीकृत कराना।
- खादी ग्रामोद्योग के विकास के उद्देश्य से कार्य करने वाली सहकारी
समितियों/संस्थाओं के आर्थिक सहायता के मांगपत्रों को अपनी संस्तुति/निरीक्षण रिपोर्ट
के साथ बोर्ड को प्रेषित करना।
- खादी तथा ग्रामोद्योग हेतु दी गयी सहायता का उद्देश्यानुसार उपयोग
करवाने की कार्यवाही करना।
- खादी ग्रामोद्योगों की उत्पादित वस्तुओं के विक्रय/विपणन में सहायता
देना।
- अपने अधीनस्थ तहसील अथवा विकास खण्ड स्तर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों
से योजनाओं का क्रियान्वयन कराना तथा उनको उचित मार्गदर्शन देना।
- समितियों/संस्थाओं एवं व्यक्तियों को दी गयी सहायता तथा प्रगति का
विवरण संकलित कराना तथा मुख्य कार्यालय को समय पर भेजना।
- समय पर वाजिब ऋण तथा अन्य धन की वसूली करना और उसका विवरण मुख्य कार्यालय
को भेजना।
- निष्क्रिय समितियों/संस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए नियमानुसार
कार्यवाही करना।
- अपने जिले की समस्त सहकारी समितियों/संस्थाओं के सम्बन्ध में वित्तीय
तथा अन्य सूचनायें कार्यालय में रखना।
- बोर्ड के मुख्यालय द्वारा प्रसारित आदेशों का पालन करना।
- अन्य कृत्यों का वहन करना, जो समय-समय पर बोर्ड द्वारा दिये जायें।
14. सहायक विकास अधिकारी (प्रथम/द्वितीय)
लघु उद्योगों एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना हेतु निम्न कार्यो को निष्पादित करना।
सर्वेक्षण
- क्षेत्र के कच्चे माल की उपलब्धता का सर्वेक्षण।
- आर्टिजन की संख्या का सर्वेक्षण तथा तकनीकी उपलब्धता का विवरण रखना।
- तैयार माल के लिए मार्केट की उपलब्धता का विवरण रखना।
- यातायात के साधनों/आर्थिक स्थिति आदि की सूचना रखना।
संगठनात्मक कार्य
- समितियों एवं संस्थाओं के गठन का प्रस्ताव तैयार करना।
- समितियों एवं संस्थाओं के सदस्यों को सम्बन्धित ग्रामोद्योग में प्रशिक्षण
दिलवाना।
- मशीनरी उपकरणों की व्यवस्था करना।
- समितियों को तकनीकी सलाह देने हेतु मुख्यालय के अधिकारियों के माध्यम
से व्यवस्था करना।
- ग्रामोद्योग की स्थापना हेतु ऋण एवं अनुदान उपलब्ध कराना।
- मुख्यालय स्तर पर समितियों/संस्थाओं एवं व्यक्तिगत उद्यमियों की कठिनाईयों
को दूर करना।
- समितियों द्वारा उत्पादित माल की बिक्री की व्यवस्था करना।
- राजकीय कार्यालयों एवं विभागों से सम्पर्क स्थापित करके इकाईयों के
माल सप्लाई की व्यवस्था में सहयोग करना।
- समितियों/संस्थाओं/व्यक्तिगत उद्यमियों को दिये गये ऋण अनुदान के सदुपयोग
की जाँच करना।
- समितियों/संस्थाओं/व्यक्तिगत उद्यमियों से वसूली कराना।
- सुशुप्त पड़ी हुई समितियों के पुनर्जीवीकरण व बन्द समितियों को भंग करने की कार्यवाही
करना|